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विश्व साक्षरता दिवस पर भाषण | Speech on World Literacy Day in Hindi | Speech On International Literacy Day

विश्व साक्षरता दिवस पर भाषण

आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों। आप सभी को बहुत-बहुत शुभ प्रभात। हम सभी यहां विश्व साक्षरता दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं और मैं विश्व साक्षरता दिवस पर कुछ शब्द कहना चाहूंगा । 

विश्व साक्षरता दिवस हर साल 8 सितम्बर को राष्ट्रिय और अन्तर्राष्ट्रीय दिन के रूप में मनाया जाता हैं । इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को साक्षरता (शिक्षा) के प्रति जागरूक कर समाज में शिक्षा के महत्व को प्रदर्शित करना हैं । 8 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने की परम्परा की शुरुआत 17 नवम्बर 1965 को सयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को (Educational, Scientific and Cultural Organization) द्वारा की गई । हर साल साक्षरता दिवस को एक नई थीम और लक्ष्य निर्धारित कर मनाया जाता हैं । शिक्षा और विकास, 21 वी सदी के लिए शिक्षा व् स्वास्थ्य जैसे विषयों को लेकर साक्षरता दिवस उत्सव पिछले कई वर्षो से मनाया जा रहा हैं । इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज के सभी वर्गो तक शिक्षा के संदेश को पहुचाना । उन लोगों को शिक्षा के साथ जोड़ना जो अब तक इससे वंचित रहे हैं । आज के समय में व्यक्ति की प्राथमिक आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान से अधिक महत्वपूर्ण शिक्षा ( साक्षरता ) को माना जाता हैं । “नव भारत साक्षरता कार्यक्रम” कई वर्षो से चल रहा हैं । जब तक देश की अधिकांश आबादी साक्षर नही हो जाती हैं । गरीबी, अंधविश्वास, लिंग भेद, जनसंख्या बढ़ोतरी जैसी सामजिक समस्याओं से पार पाना असम्भव हैं । सरकार द्वारा इस दिशा में कई सार्थक कदम उठाने के बावजूद सार्थक परिणाम नजर नही आ रहे हैं । सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मिल प्रौढ़ शिक्षा जैसे साक्षरता कार्यक्रम कई वर्षों से भारत में चल रहे हैं । वर्ष 2011 में हुई जनगणन के आकड़ो पर हम नजर डाले तो भले ही हमारी पुरुष साक्षरता 80 फिसद से अधिक हो । 2001 से 2011 के मध्य 10 वर्षों की अवधि के दौरान मात्र 4 फीसदी ही महिलाएँ साक्षर हो पाई हैं । जहाँ 2001 की जनगणना में महिलओं की साक्षरता दर 60 फीसदी के आस-पास थी जो अब 64 तक ही बढ़ पाई हैं । बिहार, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में महिला शिक्षा का स्तर बेहद निम्न हैं जो हम सबके लिए चिंता का विषय हैं । हमारा भारत प्राचीन समय में विश्व गुरु कहलाता था, मगर आज हालत यह हैं कि कुल आबादी का एक चौथाई तक़रीबन 30 करोड़ लोग आज भी अशिक्षित हैं । इस असफलता के पीछे हमारी सरकारों और समाज दोनों की गलतियाँ बराबर जिम्मेदार हैं । सभी सरकारों विद्यालयों में निशुल्क दोपहरी भोजन की योजना निश्चय ही विद्यालय में बच्चो के ठहराव और उपस्थति के आकड़ो को सुधार करने में मदद कर रही हैं । साक्षरता के महत्व को समझते हुए अंतराष्टिय साक्षरता दिवस (International Literacy Day) की पहल शिक्षा के प्रचार-प्रसार में अहम हथियार हैं । शिक्षित युवाओं द्वारा सक्रिय भूमिका निभाने से वर्तमान स्थति में काफी हद तक सुधार लाया जा सकता हैं। गणतंत्र राष्ट्र के शिक्षित नागरिक ही अपने कर्तव्यो और अधिकारों के लिए जागरूक होकर इनका सही उपयोग कर सकता हैं । सामजिक द्रष्टि से भी शिक्षा जरुरी हैं । पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों को समझते हुए सदुपयोग कर सकता हैं । देश की अधिकतर आबादी गाँवों में बस्ती हैं। जहाँ शिक्षा का आज भी निम्न स्तर हैं, जिस कारण लोग जाति धर्म जैसे बन्धनों में खुद को बांधे रखते हैं । ज्ञान व्यक्ति को अँधेरे से बाहर निकालकर एक उज्जवल भविष्य की राह दिखाने का कार्य करता हैं । आज जो भी देश विकास व् तकनीक के विषय में सर्वोच्च हैं जिनका आधार मूलतः शिक्षा ही हैं । असाक्षर व्यक्ति को पशु के समान समझने वाली संभ्यता में आज भी बेटियों की शिक्षा के द्वार पूर्ण रूप से नही खुले हैं । साक्षरता दिवस जैसे अवसर हमारे इस तरह के नासूरो पर फिर से गौर कर नये विचारों के साथ समाज को आगे ले जाने का पथ प्रशस्त करते हैं । जब हमारा देश अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हुआ उस समय हमारी साक्षरता दर मात्र 12-13 फिसद ही थी । आजादी के बाद के इन 70 वर्षो बाद आज हमारी शिक्षा दर 74 प्रतिशत तक पहुच चुकी हैं । मगर वैश्विक साक्षरता दर जो 85 फीसदी के आस-पास हैं। अब भी हम उस लिहाज से काफी पीछे चल रहे हैं। साक्षरता दर बढ़ाने के लिए किये गये प्रयासों में हमारे देश व् विभिन्न राज्यों की बात करे तो आज की स्थति में लगभग सभी राज्यों में अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम को शिक्षा के अधिकार के रूप में जगह दी गई हैं। एक कानून को मौलिक अधिकार बना देने के बावजूद क्या 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चे स्कुलो तक पहुच पाए क्या बाल श्रम पर पूर्ण रोक लग पाई । ये सवाल हमारे दिलों दिमाग को तब तक कोसते रहेंगे, जब तक समाज के हर तबके का व्यक्ति शिक्षा के प्रति जाग्रत नही हो जाता । जरुरत हैं इस तरह के कानूनों को आमजन तक पहुचाने की ओर उन्हें इसके प्रति जागरूक करने की तभी असल में विश्व साक्षरता दिवस मनाने का उद्देश्य सच्चे अर्थो में साकार होगा ।

धैर्यपूर्वक मेरी बात सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद
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