हमारे देश में लगेगी धूप-छांव
मिलेंगे रंग कई देखना शहर-ओ-गांव
हमारा देश है हमारे ही मन का आंगन
है इस धरा के चरण को चूमता है नीलगगन
न जाने कैसी है इस देश की माटी से लगन
जो यहां आता है हो जाता है सब देख मगन
घूम के देखो तुमभी देश मेरा पांन
हमारे देश में आने लगेगी धूप-छांव
मिलेंगे, रंग कई देखना शहर-ओ-गांव
कई मौसम यहां जीवन के गीत गाते
सभी का प्रेम देख देव मुस्कुराते हैं
रिश्ता कोई भी हो श्रद्धा से सब निभाते है
अपने दुःख और तनाव ऐ जीत पाते हैं
शांति को टापू है, नहीं है ज्यादा काँव
हमारे देश में आना लगेगी धूप-छांव
मिलेंगे रंग कई देखना शहर-ओ-गांव
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