प्रस्तावना -
गुरू-शिष्य परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि दुनिया में एक शिक्षक या अध्यापक बनने से बड़ा और कोई कार्य नहीं । जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
कब और क्यों मनाया जाता है -
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन किया। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और अपने जन्म दिन पर हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाने का अनुरोध किया। तभी से शिक्षक दिवस मनाया जाता है शिक्षकों को सम्मान देने और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को याद करने के लिये हर साल पूरे भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। देश के विकास और समाज में हमारे शिक्षकों के योगदान के लिये हमारे पूर्व राष्ट्रपति के जन्मदिवस को समर्पित किया गया है।
तैयारियां -
शिक्षक दिवस शिक्षकों और छात्रों के रिश्तों को और भी अच्छा बनाने का एक महान अवसर होता है जो बहुत ही ख़ुशी के साथ मनाया जाता है। विद्यार्थी अपने शिक्षकों को बधाई देने के लिए तरह-तरह की योजना बनाते हैं। बच्चे व शिक्षक दोनों ही सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। स्कूल-कॉलेज सहित अलग-अलग संस्थाओं में शिक्षक दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
वर्णन -
शिक्षक और विद्यार्थी के बीच के रिश्तों की खुशी को मनाने के लिये शिक्षक दिवस एक बड़ा अवसर है। यह दिन स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक और विद्यार्थियों के द्वारा बहुत ही खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। विद्यार्थी शिक्षकों को ढ़ेर सारी बधाईयाँ देते हैं। आधुनिक समय में शिक्षक दिवस को अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थी बहुत खुश होते हैं और अपने तरीके से अपने पसंदीदा शिक्षक को बधाई देते है। कुछ विद्यार्थी पेन, डॉयरी, कार्ड आदि देकर बधाई देते हैं तो कुछ सोशल नेटवर्किंग के माध्यम के द्वारा अपने शिक्षक को बधाई देते हैं।
गुरु शिष्य का संबंध -
शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन में वास्तविक कुम्हार होते हैं। वे न केवल विद्यार्थी के जीवन को आकार देते हैं बल्कि उन्हें इस काबिल बनाते हैं कि वह पूरी दुनिया से अंधकार दूर करते रहें। शिक्षक हमारे माता-पिता से भी बढ़ कर हैं जो हमें हमेशा सफलता की राह दिखाते हैं। शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को अलग अलग रूप-रंग के फूलों से सजाता है। जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करता है। शिक्षक को परिभाषित करना असंभव है क्योंकि शिक्षक न केवल शिक्षाविदों में छात्रों को पढ़ाने या उनका मार्गदर्शन करने तक सीमित है, बल्कि छात्रों को सही रास्ता दिखाने में मदद कर रहे हैं।
शिक्षक दिवस की शुरुवात कबसे हुई -
देश में रहने वाले नागरिकों के भविष्य निर्माण के द्वारा शिक्षक राष्ट्र-निर्माण का कार्य करते है। लेकिन समाज में कोई भी शिक्षकों और उनके योगदान के बारे में नहीं सोचता था। तब भारत के एक महान नेता व शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाने की सलाह दी। 1962 से हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।
उपसंहार-
हमें कभी भी अपने शिक्षकों को नहीं भूलना चाहिए। हमें उन्हें हमेशा सम्मान देना चाहिए। वे हमें हमारे जीवन में शिक्षा के महत्व और ज़रूरत को समझाते हैं। हम सभी शिक्षकों के अनमोल योगदान के बदले उन्हें कुछ नहीं लौटा सकते लेकिन हम उन्हें सम्मान और धन्यवाद अवश्य दे सकते हैं। हमें पूरे दिल से ये प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि हम अपने शिक्षक का सम्मान करेंगे क्योंकि बिना शिक्षक के इस दुनिया में हम सभी अधूरे हैं।
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