बड़ा ही घोर अंधियारा
फैला मुगल तुर्को का
राज आया है
एक हारे तो दस आते है
अरब का ये जिहाद भारत
की ओर बढ़ आया है
हल्दीघाटी का शौर्य पड़
गया फीका शत्रु ऐसा
बड़ा विकट है
लड़कियों के अस्मत को
लूटते ये पशु भारत का
सर्वनाश लगता अब
निकट है
तब एक बालक था अड़ा
हुआ शत्रु के सीने पर
जाकर चढ़ा हुआ
बाजुओं को है ताल
देकर अर्जुन सा बनकर
रण मै है उतरता
मुरलीधर का छल बनकर
जंगलों का वो ताज था
पर्वतों में वो पर्वतराज था
जिसके भय से औरंगजेब कांपे वो
छत्रपति शिवाजी महाराज था
वे शत्रु अंग्रेज भी बड़े
प्रशंसक थे पूरे जग में
जिसका राज था
गर शिवाजी हमारा होता
तो ब्रह्माण्ड ये कबका
हमारा था
पर अर्जुन के बाणों को
भी भाई कर्ण ने ही
रोका था शिवाजी की
तलवार को जयसिंह ने
तोड़ा था
तब अभिमन्यु सा बनकर
आया था पुत्र संभाजी
जिसके आगे ना ही वो
जी ना ही कोई और जी
फिर जो तांडव मचाया
वो शौर्य बड़ा ही
अलौकिक था
बप्पा रावल का वंशज वो
अपने धर्म पर अडिग था
जिसने शत्रुओं के मंसूबों को
है तोड़ा वो छत्रपति शिवाजी
नाम का रोड़ा था दो चार
किलो से पूरे भारत को जोड़ा था
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