माँ जैसी रहती है तुम रह लोगी क्या
दो दिन बिना अन्न पानी की शह लोगी क्या
हाँ हम वादा करते है तुम्हारे बारे में माँ को बातएँगे
तुम हमरे लिए छठ पूजा कर लोगी क्या ?
माँ जोहत होइ रात हमर गइल जरुरी बा
टिकट मिलत नहीं ट्रैन के भैया बहुत मज़बूरी बा
की जा के अगर ऐनी की फिर आइब जरूर
अपना यहाँ के छठ के बारे में बातयब जरूर।
9 से 5 की ड्यूटी करत-करत मन ऊब गइल बा
माँ से कइल वादा निभये के पारी
एक अरसा बिट गइल माँ के चेरा देखली
ऐ बरी छठ में जाए के पारी।
माथा पे दउरा एक तरफ माँ एक तरफ दादी
अब का बाटी कइसन लगगेला
छठ माता को मूर्ति में न माँ के चेहरा में होकस
हूबहू ओइसन लागेला
मन ऊब गइल बा ई पिज़्ज़ा, बर्गर खाके
ई बर्री ठेकुआ खाये के पारी
अब दिवाली दशहरा राखी होली सब यही बितवले बानी
ऐ बरी छठ में जाए के पड़ी
रवा सब डूबते सूरज को पूजनी
डूबते हुए सूरज के पूजा हमरे यहाँ बिहार में होला
छठ हमनी के पर्व नहीं हमरी के इमोशन है
भला इतनी ख़ुशी कोने त्योहार होला
छठ घाट के पनघट बुला रही हमनी
ऐ बरी छठ में जाए के पारी
अब बहुत दिन भगाइल माँ के चेहरा देखनी
ऐ बरी छठ में जाए के पड़ी
अगर न जा पाई त दोहरा लेके माँ के साथ कोण जाई
भोर में अरघा के खातिर मां के साथ के जाई
और माँ बहुत कुछ कइले बानी हमरा खातिर
अब बीटा के फर्ज निभाबे पारी
अब बहुत दिन भगाइल माँ के चेहरा देखनी
ऐ बरी छठ में जाए के पड़ी
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