''जिसके जीवन-पथ पर चारों ओर अंधेरा था
नई डकैती के साथ नए पाप का सवेरा था
पाप-पुण्य में मानता था जो परिवार का हिस्सा
आकर नारद ने दूर किया उसके भ्रम का किस्सा''
महर्षि वाल्मीकि हमारे देश के महानतम कवियों मे से एक है। महर्षि वाल्मीकि चारशानी और सुमाली के पुत्र थे। महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि कहा जाता है। वह देश के पहले कवि थे जिन्होंने श्लोक लिखा था। महर्षि वालमीकि जयंती हमारे देश के पंजाब और राजस्थान राज्य मे ‘परगत दिवस’ के नाम से जाना जाता है। वाल्मीकि जयंती हर वर्ष अश्विनी माह की शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है। रामायण महाकाव्य की रचना वाल्मीकि जी ने ही की थी।
रामायण महाकाव्य में कुल 7 अध्याय है जिसमें 24000 श्लोक है, जो की महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई थी, महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के महान ज्ञाता थे।
महर्षि वाल्मीकि के कई मंदिर और कई वाल्मीकि तीर्थ स्थल है जो वाल्मीकि जयंति पर सजाए जाते है। यहां वाल्मीकि की प्रतिमा को फूलों और फूलों की मालाओं से सजाया जाता है। वाल्मीकि जयंती धूम धाम से मनाई जाती है। वाल्मीकि महर्षि बनने से पहले एक रत्नाकर नाम के डाकू थे। इनकी कहानी सभी के लिए प्रेरणादायक है।
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