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दशहरा पर कविता | Dussehra Par Kavita | Dussehra Par Poem | Poem on Dussehra Festival In Hindi

 


  1. आज दशहरे की घड़ी आई, 

झूठ पर सच की जीत है भाई।


रामचन्द्र ने रावण मारा, 

तोड़ दिया अभिमान भी सारा। 


एक बुराई रोज हटाओं

और दशहरा रोज मनाओं। 


  1. विजय सत्य की हुई हमेशा, 

"हारी सदा बराई है। 


आया पर्व दशहरा कहता

करना सदा भलाई है। 


जिसने भी अभिमान किया 

हैं उसने मुहँ की खाई है। 


आज सभी की यही सोच है, 

मेल-जोल खुशहाली हो। 


अंधकार मिट जाए सारा, 

घर-घर में दिवाली हो ।


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