मत तोड़ो बच्चों के सपनो को,
बाल मजदूरी में लिप्त कर रहे,
चिंता होनी चाहिए उनके अपनों को।
क्यों खिलवाड़ कर रहे हो,भारत के भविष्य के साथ
क्यों कलंकित कर रहे हो भारत का माथ,
इन्हें तो देखकर खुश होते है
देवों के देव बाबा भोलेनाथ !
यदि तुम इन्हें शिक्षा के अधिकार से
वंचित करते हो,
तो तुम अपने इस विशाल भारत में
चौराहों पर भीख मांगते
नन्हों को आमंत्रित करते हो।
गरीबी और भुखमरी से यह त्रस्त भारत
विकास के सामने आँखे झुककर यह पस्त भारत
होटलों, कारखानों और जोखिम भरे कामों में लिप्त कर
नहीं बच्चों के पैसों से दारू पीते यह मदमस्त भारत
शिक्षा और खेल के नाम पर करोड़ो की योजना बनाते
और उन योजनवओ से लाखो करोड़ो में लुटते यह वयस्त भारत
अभिभावक को इस दिशा में
ठोस कदम उठाना है,
हम मजबूर है, हम गरीब है ,
ये तो मात्र बहाना है।
सुबह मजदूरी शाम को दारू
पीकर वे इठलाते है,
पौव्वा हाथ में लेकर वो
चिकनी-चमेली गाते है।
बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू में
वे पैसा लुटाते है,
बच्चों की शिक्षा के नाम पर
वे पीछे हट जाते है।
बाल मजदूरी भारत में
अभिशाप के जैसा है,
जिसमे भविष्य नष्ट कर अपना
बच्चे कमाते पैसा है।
भारत को शोने की चिड़िया
यदि पुनः बनना है,
शोषित, पीड़ित, अभिशापित बच्चों को
एक-एक कर पढ़ना है।
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